Yana Caves: प्रकृति की गोद में बसी हुए इन गुफाओं में मौजूद है स्वयंभू शिवलिंग

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Yana Caves: भारत में ऐसे तो कई प्रसिद्ध गुफाएं हैं लेकिन सब एक दूसरे से काफी भिन्न है, इन्हीं गुफाओं की खूबसूरती और गौरवपूर्ण इतिहास के कारण कई विदेशी टूरिस्ट इनकी ओर खींचे चले आते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गुफा की जानकारी देने जा रहे हैं, जहां भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है। दरहसल, दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में कई टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं और इनमें से ही एक है पश्चिमी घाट की खूबसूरत पर्वत श्रृंखला। यहीं कुमटा के जंगलों में ही Yana Cave मौजूद है, जिसे देखकर काफी आश्चर्य होता है, तो आइए विस्तार से जानें कि इन गुफाओं में ऐसा क्या है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।

जंगल के बीच में स्थित है Yana Caves

याना की गुफाएं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यह जंगल के बीचोंबीच स्थित है। यह जगह प्राकृतिक गुफाएं, पहाड़ोंं की सुंदर आकृति, झरना, जंगल सफारी, ट्रैकिंग और सबसे विख्यात स्वयंभू शिवलिंग के लिए जाना जाता है। यह पर्यटन स्थल उन प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत खास है, जो शोर से दूर प्रकृति सरंचनाओ को करीब से देखने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है।

याना की गुफाओं तक पहुंचने का रास्ता बेहद ही खूबसूरत है। याना की गुफाओं और पहाड़ों की आकृति प्राकृतिक तरीके से हुई है, इसी वजह से यहां पर कई टूरिस्ट घूमने आते हैं। एंट्री प्वाइंट्स से करीब 700 मीटर से भी ज्यादा फॉरेस्ट ट्रैकिंग करने के बाद पहुंचते हैं। इन गुफाओं में करीब 3 किलोमीटर के दायरे में 61 चूना पत्थर यानी लाइमस्टोन की चट्टाने मौजूद है।

इस गुफा के दो बड़े शिखर है एक शिखर जिसका नाम भैरवश्वर शिखर है, जो 120 मीटर ऊंचा है। भैरवश्वर शिखर को ही शिव के पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। इस पहाड़ की गुफा के छत के ऊपर से आपको प्रकृति तरीके से जलअभिषेक होता हुआ दिखेगा। यहां मौजूद शिवलिंग को यहां के स्थानीय लोग गंगोद्भव कहते हैं और इस गुफा में देवी दुर्गा अवतार चंडिका की कांस्य मूर्ति के दर्शन भी कर सकते हैं। यहां पहाड़ के पास से पानी बहता है। यह दोनों पहाड़ी का रंग काला है।

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Yana Caves का इतिहास

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भस्मासुर नामक एक राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या करके भगवान शिव से वरदान प्राप्त कर लिया कि वह जिस पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा, भगवान शिव ने तथास्तु कह कर उसे यह वरदान दे दिया। इसके बाद भस्मासुर को लगा यह वरदान सच में काम करेगा और यह देखने के लिए भस्मासुर ने शिवजी के ऊपर हाथ रखने को किया लेकिन शिव जी वहां से भाग खड़े हुए और विष्णु जी से मदद मांग कर कुमट के जंगल में आकर छुप गए।

जब भस्मासुर भगवान शिव को खोज रहा था तब रास्ते में भस्मासुर को अत्यंत सुंदर नतांगकीनी मोहिनी मिली और भस्मासुर को मोहिनी पसंद आ गई तो उसने विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन मोहिनी ने उसके सामने एक शर्त रख दी कि भस्मासुर को मोहिनी की तरह नृत्य करके दिखाना होगा, तभी मोहिनी उससे विवाह करेगी, इस बात पर भस्मासुर मान गया, लेकिन मोहिनी भगवान विष्णु का रूप था जो भस्मासुर को पता नहीं था। इसके बाद जैसे-जैसे मोहिनी नृत्य करती थी वैसे वैसे भस्मासुर भी नृत्य करने लगा और थोड़ी देर बाद मोहिनी ने जान बूझकर सिर पर हाथ रखवा लिया। जैसे ही भस्मासुर ने अपने सिर पर हाथ रख दिया, वह वहीं पर भस्म हो गया। इसी कारण आज भी भैरवश्वर पहाड़ी और मोहिनी पहाड़ी काले रंग की है।

यहां आने का सही समय

याना आने का सही समय सितंबर से फरवरी तक है। मॉनसून के दौरान याना के जंगलों में आना काफी खतरनाक रहता है और गुफाओं में ट्रैक करना भी बेहद मुश्किल होता है, इसलिए सितंबर से फरवरी तक का महीना यहां आने के लिए सबसे उत्तम है।

कैसे पहुंचें याना

यदि आपको बैंगलोर से याना आना है, तो आप बेंगलुरु, पणजी, मुंबई, मंगलोर, हुबली से सड़क मार्ग के जरिए जा सकते हैं। या तो आप यहां रेल मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। इसके लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हुबली है, यहां से याना रॉक्स की दूरी मात्र 141 किलोमीटर है। वहीं सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भी हुबली में ही है जो Yana Caves से करीब 174 किमी दूर है।

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Shalu Chowdhary
Shalu Chowdharyhttps://www.janloktimes.com/
नमस्ते! मेरा नाम शालू चौधरी है। मुझे मेरे मातृ भाषा हिंदी से बेहद लगाव है और इसी कारण मैं इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हूं। मैं Janlok Times के माध्यम से आप लोगों के लिए आर्टिकल लिखती हूं।

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