Cleanest Village in Asia : भारत का सबसे स्वच्छ गांव, लोग यहां खुद से बनाते हैं खाद

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Cleanest Village in Asia : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ साल पहले ही स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें देश को स्वच्छ बनाने का प्रयास किया गया। इस मिशन का प्रभाव देश के कई शहरों में देखने को मिला। लेकिन अभी भी कुछ ऐसे शहर या इलाके मौजूद है, जहां सफाई का स्कोर ज़ीरो है। उन शहरों और इलाकों को हमारे देश के एक छोटा से गांव, जिसका नाम मॉलिनॉन्ग है, उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। आपको जानकर बेहद खुशी होगी कि यह एक ऐसा गांव है, जो पूरे ‘एशिया में सबसे साफ’ माना जाता है। इसके अलावा इस गांव के हर घर में टॉयलेट है और प्लास्टिक पर भी बैन लगा हुआ है, तो आइए जानते हैं ये गांव कहां है और इस गांव की और भी खसियत क्या – क्या है।

इस गांव को ‘भगवान का बगीचा’ (God’s Own Garden) के नाम से भी जाना जाता है। इस गांव का नाम Mawlynnong village है। ये गांव मेघालय राज्य में मौजूद है। यह मेघालय की राजधानी, शिलॉन्ग से मात्र 78 किमी दूरी पर स्थित है। आपको बता दें कि गांव को ‘डिस्कवर इंडिया’ की ओर से 2003 में ‘एशिया का सबसे साफ गांव’ का खिताब मिला था। गांव के पास आज भले ही अब ये दर्जा ना हो, लेकिन यह अपनी स्वच्छता को अभी भी कायम रखे है।

गांव के सभी लोग हैं शिक्षित

एक शिक्षित समाज का उम्दा उदाहरण यह गांव है, यहां के सभी लोग शिक्षित हैं यानी इस गांव का साक्षरता दर शत प्रतिशत है। इस गांव की महिलाएं सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है। ये गांव महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश करता है। यहां पर बच्चों को मां का सरनेम मिलता है और पैतृक संपत्ति मां द्वारा घर की सबसे छोटी बेटी को दी जाती है।

मावलिनोंग में कहां जाए घूमने

मावलिननांग गांव में टूरिस्टों के घूमने के लिए कई सारी जगहें हैं। आप यहां उमंगोट नदी को देख सकते हैं, यह यहां की सबसे अच्छी जगह हैं और यह नदी आपको गांव के रास्ते में ही देखने को मिलेगी। इस नदी का पानी इतना साफ है कि नावें नदी के तल पर तैरती हुई प्रतीत होती हैं। टूरिस्ट यहां बोफिल जलप्रपात देख सकते हैं, इसकी खूबसूरती आपका दिल जीत लेगी आप यहां स्काई वॉक जा सकते हैं, इसके अलावा यहां ट्री हाउस देखने को मिलेंगे, जहां से आप खूबसूरत नजारे देख सकते हैं।

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प्रत्येक घर में है शौचालय

इस गांव के हर घर में साल 2007 से शौचालय मौजूद है, यहां कोई भी ग्रामीण खुले में शौच नहीं करता है, इस गांव में आपको हर तरफ बांस से बने डस्टबिन देखने को मिल जाएंगे। ये पेड़ के नीचे ही रखी गई हैं, जिससे पेड़ की सूखी पत्तियां सीधे उसी डस्टबिन में गिरें। इसके अलावा यहां प्लास्टिक बैन है और सिगरेट पर भी पाबंदी है, यहां के नियम इतने सख्त हैं कि इन चीजों का ध्यान न रखने वालों को सजा होती है।

गांव के लोग मिलकर बनाते हैं खाद

खाद के लिए गांव के लोगों को किसी बाहरी माध्यम पर निर्भर नहीं होना पड़ता है, वो खुद ही खाद बनाते हैं और यहां कूड़े से कंपोस्ट तैयार किया जाता है। जमीन में एक बड़ा गड्ढ़ा बनाया जाता है, जिसमें सारा कूड़ा डाल दिया जाता है। इसी से खाद बनती है और लोग सिर्फ घर में ही झाड़ू नहीं करते, बल्कि घर के बाहर और सड़क पर भी लगा देते हैं।

कैसे पहुंचा जाए यहां?

यहां आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा शिलांग हवाई अड्डा है, जो राजधानी शिलांग में स्थित है। हवाई अड्डे से मावलिनोंग की दूरी लगभग 90 किमी है, इसके बाद यात्री मावलिनोंग पहुँचने के लिए निजी कार बुक कर सकते हैं या हवाई अड्डे से बस ले सकते हैं। लेकिन यदि आप मावलिनोंग पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से जाना चुनते हैं, तो आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प पहले शिलांग या चेरापूंजी पहुँचना है, जो लगभग 90 किमी और 92 किमी दूर स्थित हैं। इसके बाद इन दोनों शहरों से मावलिनोंग के लिए बसें सीधे नहीं चलती हैं। ज़्यादातर बसें दावकी गाँव तक जाती हैं, जो मावलिनोंग से लगभग 17 किमी दूर है।

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Shalu Chowdhary
Shalu Chowdharyhttps://www.janloktimes.com/
नमस्ते! मेरा नाम शालू चौधरी है। मुझे मेरे मातृ भाषा हिंदी से बेहद लगाव है और इसी कारण मैं इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हूं। मैं Janlok Times के माध्यम से आप लोगों के लिए आर्टिकल लिखती हूं।

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