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Hathras Satsang Hadsa: साकार नारायण विश्व हरी भोले बाबा कौन है? जिनके सत्संग में हाथरस में मच गई भगदड़

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hathras satsang hadsa
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Hathras Satsang Hadsa: ब्रज का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग खत्म होने के बाद मची भगदड़ में अभी तक 122 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत की खबर आई है। इसके साथ ही इस भगदड़ में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। हाथरस में हुए इस सत्संग में एटा एवं कासगंज के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से भी कई श्रद्धालु आए थे। इस निराशाजनक घटना के कारण जान गंवाने वालों में सात बच्चे, एक पुरुष और 108 महिलाएं शामिल हैं।

ये महज एक हादसा है या कोई साजिश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख व्यक्त करते हुए इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और उन्होंने सभी को विश्वास दिलाया है कि जो भी इस मामले में दोषी पाया गया उसे जल्द ही कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार ने मरने वालों के परिवार को दो-दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। योगी जी के अलावा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत कई और नेताओं ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घटना की तह तक जांच की जाएगी और देखेंगे कि यह एक हादसा है या साजिश। हादसे के बाद से ही सीएम योगी सरकारी आवास पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर पल-पल की रिपोर्ट ले रहे थे।

कौन है ये भोले बाबा

पुलिस की नौकरी छोड़ बाबा बने सूरजपाल ने सत्संग के लिए ही एसआइ की नौकरी छोड़ी थी। वह हमेशा अपने वर्दी में ही प्रवचन देने लगता था। जब उन पर कई सवाल उठने लगे तो उसने सत्संग करना शुरू कर दिया। पिछले 17 वर्ष से वह सत्संग कर रहा था। वह नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के नाम से जरूर पुकारा जाता है, लेकिन मंच पर कोट-पैंट पहन कर ही पहुंचता था। भोले बाबा के साथ में उनकी पत्नी भी रहती थीं।

सूरजपाल उत्तर प्रदेश में कासगंज जिले के बहादुरनगर गांव के रहने वाले थे। बचपन से ही उन्हें प्रवचन के प्रति रुचि थी। वे पुलिस में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए और पदोन्नत होकर एसआइ भी बने। उत्तर प्रदेश के 12 थानों के अलावा लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआइयू) में भी तैनात रहा। नौकरी के दौरान भी वह प्रवचन दिया करते थे।

आइएएस और आइपीएस अफसर हैं इनके भक्त

18 वर्ष तक नौकरी करने के बाद पिछली सदी के नौवें दशक में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद प्रवचन-सत्संग शुरू कर दिया। इसके साथ ही नाम बदलने का भी निर्णय लिया। उन्होंने अपना नया नाम नारायण साकार विश्व हरि रखें और उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं। बाबा और उनके अनुयायी हमेशा से ही मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं।

बाबा ये दावा करते हैं कि नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से उनका साक्षात्कार हुआ। हैरानी की बात तो यह है कि इनके भक्तों में आइएएस और आइपीएस अफसर भी शामिल हैं। कई दिग्गज नेता उनके सत्संग में शामिल हो चुके हैं। उसके यूट्यूब चैनल के हजारों सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पर भी बाबा सक्रिय है।

पीड़िता ने दिया पूरी घटना का विवरण

इस हादसे से पीड़ित पूजा ठीक से बोल भी नहीं पा रही हैं। पूजा मौत के इस मंजर की कहानी बताते हुए कहती हैं कि सत्संग खत्म होते ही भीड़ खेतों से गुजर रही थी। यहां एक खेत, दूसरे खेत से नीचे था। इसके बाद अचानक पीछे से भीड़ उमड़ी और लोग उसमें गिरने लगे। भीड़ का सैलाब इतना बड़ा था कि लोग गिरते चले गए। फिर भीड़ पूरी तरह बेकाबू होगया और जो एक बार गिरा, वह दोबारा उठ नहीं सका। भीड़ लोगों को कुचलते हुए गुजर गई। सत्संग सुनने आई पूजा बताती हैं कि भाग्यवश वह मौत के इस मंजर से थोड़ी दूरी पर थीं।

पूजा आगे बताती है कि सत्संग समाप्त होने के बाद बाबा मंच से उतरने लगा तो भीड़ भी तेजी से सत्संग से निकलने में जुट गई। वहां भीषण उमस से लोग पसीने से तर-बतर हो चुके थे। वहां उपस्थित अधिकांश लोग प्यास से व्याकुल हो गए थे और इसी जल्दबाजी में कुछ लोग खेतों से निकलने लगे। इसी दौरान पीछे से भीड़ आई तो दो-तीन लोग गिर गए। इसके बाद दोबारा भीड़ उमड़ी और कुछ और लोग गिर गए। इसके बाद भीड़ लगातार नीचे गिरे लोगों को रौंदते हुए गुजरने लगी, जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गवां दी, तो कुछ लोग घायल हो गए।

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