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IVF Diabetes: क्या डायबिटीज में IVF संभव है? ऐसे रखें खुद का ख्याल!

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IVF Diabetes

IVF Diabetes: क्या डायबिटीज में IVF संभव है? कैसे रखें खुद का ख्याल? प्रेगनेंसी अपने आप मे एक काफी लंबा process है, इस दौरान महिलाओं को कई चीजों का सामना करना पड़ता है, मूड स्विंग होना, वोमेटिंग, सिर दर्द, प्रेशर का घटना और बढ़ना जैसी कई समस्याओं से महिलाओं को हर दिन गुजरना होता है, ऐसे में यदि महिला पहले से ही डायबिटीज का शिकार है तो उनके लिए यह जर्नी और भी चैलेंजिंग हो जाती है।

अक्सर गलत खानपान के कारण और खराब लाइफस्टाइल के कारण हमारी सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है और इस वजह से लोग डायबिटीज का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे में जिन महिलाओं ने IVF Process के जरिए मां बनने का निर्णय लिया है अक्सर वे कन्फ्यूजन में रहती है की क्या डायबिटीज में IVF Process संभव है? तो चलिए पूरे विस्तार से जानते हैं।

क्या है IVF Process

IVF Process अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है हालांकि इस तकनीक की मदद से कई कपल्स अब तक माता-पिता बन चुके हैं कई लोगों के लिए यह एक चमत्कार जैसा भी है लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आईवीएफ तकनीक के साथ कई तरह की जटिलताएं और रिस्क फैक्टर्स भी शामिल होते हैं। जैसा कि अगर हम डायबिटीज की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज एक खतरनाक हेल्थ कंडीशन है।

डायबिटीज के मरीज अगर अपने ब्लड शुगर के स्तर को मैनेज ना करें तो उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होती रहती हैं ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या डायबिटीज के मरीजों के लिए आईवीएफ तकनीक को अपनाना संभव है या नहीं? क्या डायबिटीज के मरीजो के लिए आईवीएफ तकनीक कारगर साबित होता है? एक एक कर समझते हैं।

Diabetes and Risk Factors

Diabetes से ग्रसित महिलाओं के लिए Natural Process से कंसीव कर पाना बड़ा मुश्किल होता है और इसलिए अधिकतर कपल्स आईवीएफ का सहारा लेते हैं। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें यदि शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहा तो वह आपके शरीर को पूरी तरह से ग्रसित कर देगा और उसका बुरा असर किडनी के साथ-साथ फर्टिलिटी पर भी पड़ता है। ऐसा देखा गया कि टाइप 1 डायबिटीज वाली महिलाओं के पीरियड्स काफी डिस्टर्ब रहते हैं जिस वजह से महिलाओं को कंसीव करना मुश्किल हो जाता है, वहीं पुरुषों में डायबिटीज के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और स्पर्म क्वालिटी और सीमन मोबिलिटी पर भी पूरा असर पड़ता है।

IVF Diabetes Possible

डॉक्टर का ऐसा मानना है की डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के लिए आईवीएफ भी एक ऑप्शन है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आईवीएफ के दौरान शरीर में शुगर का लेवल हमेशा कंट्रोल में रहे। अगर यह बढ़ा हुआ है तो इस दौरान आईवीएफ की कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती शुगर लेवल सामान्य होने पर ही आईवीएफ का प्रोसीजर शुरू किया जा सकता है।

ऐसी कई महिलाएं हैं जो डायबिटीज से ग्रसित है और वे आईवीएफ की मदद से मां बनी है। आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए डायबिटीज के मरीज भी पैरंट्स बनने के अपने सपने को पूरा कर सकते हैं आपको बता दे कि इन इंट्रो फर्टिलाइजेशन एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसमें शरीर के बाहर शुक्राणु और अंडे को मिलाकर भ्रूण यानी की एंब्रियो बनाया जाता है फिर गर्भधारण की उम्मीद में भ्रूण को गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

IVF Process में कैसे रखे खुद का ख्याल

यदि डायबिटीज से पीड़ित महिला आईवीएफ ट्रीटमेंट को चुनती हैं तो उन्हें कई सारी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।

  • सबसे पहली बात जिसका खास ख्याल रखना चाहिए वह यह है की ब्लड शुगर का स्तर हमेशा कंट्रोल में रहे।
  • आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले डायबिटीज के मरीजों को अपना ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने और हेल्थ में हो रहे बदलाव पर गौर करने की सलाह दी जाती है। यदि ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं है तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा कर ही अपना ट्रीटमेंट शुरू करवाए।
  • ब्लड शुगर को कंट्रोल करने से डायबिटीज के मरीजों के अंडे और शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करने और मिसकैरेज के रिस्क को कम करने में मदद मिलती है।
  • डायबिटीज के मरीजों को जो आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने के इच्छुक हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि समय-समय पर डॉक्टर के पास जरूर जाएं और सेहत से जुड़ी परेशानियों को खुलकर बताएं।
  • फिजिकल ओर मेंटल हेल्थ के लिए मेडिटेशन और कुछ योग करने की भी सलाह दी जाती है।

Diet for Diabetes Patients

किसी भी बीमारी में डाइट का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है। जैसा की डाइट का हमारी ओवर ऑल Health पर काफी महत्वपूर्ण योगदान है इसी तरह आईवीएफ ट्रीटमेंट में भी डाइट को अनदेखा नही किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों को आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरते वक्त अपनी लाइफ स्टाइल और डाइट का पूरा ध्यान रखना चाहिए|

आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान डायबिटीज के रोगियों को सोडा, आइसक्रीम, कार्बोहाइड्रेट, रिफाइंड शुगर, ट्रांस फैट या रेडी टू ईट फूड जैसी चीजों से काफी दूर रहना चाहिए इसके अलावा डाइट में हेल्दी विकल्प को शामिल करना काफी जरूरी है। इसके अलावा आप अपने डॉक्टर से भी अपने हेल्थ के अनुसार डायट के लिए सलाह मशवरा कर सकते हैं।

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