Swami Vivekananda Punyatithi: कहते हैं की कुछ लोग भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन उनके विचार उनकी सोच उन्हें अमर बना देती है। उन्हीं महान लोगों में से एक है Swami Vivekanand जिनकी आज पुण्यतिथि है। भारत के महान पुरुषों में से एक और महान विचारक Swami Vivekanand का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था और उनकी मृत्यु आज ही के दिन यानी 4 जुलाई 1902 में हुई थी तो चलिए आज हम आपको विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उनके जीवन के संघर्ष की कहानी और उनके विचारों से अवगत कराते हैं।
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Swami Vivekananda ने 25 की उम्र मे छोड़ा था घर
वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद बेहद साधारण जीवन जीते थे उनके महान विचारों के लिए वह आज भी याद किए जाते हैं। विवेकानंद विलक्षण प्रतिभा के धनी थे तभी तो शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में उनके भाषण के पहले जहां सब उन्हें आम आदमी समझ रहे थे वहीं उनके भाषण के बाद तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा था।
पर क्या आप जानते हैं की विवेकानंद ने महज़ 25 वर्ष की उम्र में सांसारिक मोह माया को छोड़ दिया था और अध्यात्म एवं हिंदुत्व के प्रचार प्रसार में जुट गए थे। देश के बाहर शिकागो में जाकर जो उन्होंने सम्मान और प्रतिष्ठा हासिल की उसकी नींव बचपन में ही पड़ चुकी थी।
25 की उम्र में घर छोड़ने के बाद Swami Vivekanand सन्यासी बनकर ईश्वर की खोज में निकले और पूरे विश्व को हिंदुत्व और अध्यात्म का ज्ञान दिया। हिंदुत्व को लेकर उन्होंने जो व्याख्या दुनिया के सामने रखी उसकी वजह से हिंदू धर्म को लेकर लोगों का काफी आकर्षक भी बड़ा और यही एक कारण है कि बाहरी देशों में हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार हो पाया।
भगवान राम के किए थें दर्शन
Swami Vivekanand के बारे में एक कहानी काफी विख्यात है जिसमें भोजन की तलाश में Swami Vivekanand ने भगवान राम के दर्शन कर लिए। तो यह वाक्या कुछ इस प्रकार है की एक बार दोपहर के समय Swami Vivekanand को काफी भूख लगी थी, वह रेलवे स्टेशन पर भूख के मारे बैठे हुए थे। तभी एक सेठ सीधा रेलवे स्टेशन पहुंचा और संत के वेशभूषा में बैठे हुए Swami Vivekanand को प्रणाम कर उनके हाथों में भोजन पकड़ा दिया।
पूछने पर सेठ ने बताया कि आपके कारण खुद भगवान ने मुझे मेरे सपने में दर्शन दिए पहले तो मुझे लगा कि यह बस सपना है लेकिन दोबारा फिर भगवान राम ने मेरे सपने में आकर मुझे आप तक खाना पहुंचाने के लिए कहा। यह सुनकर स्वामी विवेकानंद की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने सोचा कि मैं तो गुरुदेव को याद कर रहा था और उन्होंने मेरी प्रार्थना सुन ली।
बीमारियों से थे ग्रसित
Swami Vivekanand कई बीमारियों जैसे अनिद्रा, मलेरिया, माइग्रेन, लीवर, डायबिटीज, किडनी और दिल समेत 31 बीमारियों से पीड़ित थे। Swami Vivekanand की कम उम्र में मृत्यु का कारण उनकी बीमारियां ही थी। मार्च 1900 में उन्होंने सिस्टर निवेदिता को एक पत्र लिखा था, पत्र में लिखा था कि मैं अब काम नहीं करना चाहता बल्कि विश्राम करने की इच्छा में हूं मैं इसका समय भी जानता हूं हालांकि काम मुझको लगातार अपनी ओर खींचता रहा है जब उन्होंने यह लिखा कि मैं अपना आखिरी समय और जगह जानता हूं, वाकई वे जानते थे इस पत्र को लिखने के तकरीबन 2 साल के बाद ही उनका निधन हो गया था।
आपको बता दें कि वर्ष 1902 में शुरू से ही उन्होंने सांसारिक मामलों में से खुद को अलग करना शुरू कर दिया था वह बहुत कम सवालों के जवाब देते थे वह अक्सर कहते थे कि मैं अब बाहरी दुनिया के मामलों में दखल नहीं देना चाहता। ऐसा कहा जाता है कि अपनी मृत्यु से 2 महीने पहले उन्होंने अपने सभी सन्यासी शिष्यों को देखने की इच्छा जाहिर की सभी को पत्र लिखकर कम समय के लिए बेलूर मठ आने के लिए कहा लोग आधी पृथ्वी की यात्रा करके भी उनसे मिलने आने लगे उन्होंने इस बीच कई बार कहा मैं मृत्यु के मुंह में जा रहा हूं देश दुनिया के समाचारों पर अब वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देते थे।
बेलूर मठ के शांत कमरे में उन्होंने 4 जुलाई 1902 को माहा समाधि ले देह त्याग से एक सप्ताह पहले उन्होंने अपने एक शिष्य को पंचांग लाने का आदेश दिया था, ध्यान से उन्होंने पंचांग को देखा मानो किसी चीज के बारे में ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। उनके देहावसान के बाद उनके गुरु भाइयों और शिष्यों को अंदाजा हुआ कि वह अपनी देह को त्यागने की तिथि के बारे में विचार कर रहे थे।
प्रधान मंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को Swami Vivekanand की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि हम एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के उनके सपने को पूरा करने के लिए अपने प्रतिबद्धता दोहराते हैं। ट्विटर यानी एक्स पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा मैं Swami Vivekanand को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को ताकत देता है उनका गहन ज्ञान और ज्ञान की निरंतर खोज भी बहुत प्रेरक है।
Swami Vivekanand जी का ऐसा मानना था कि जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर पाते। विवेकानंद जी की बातें और उनके विचार आज भी लोगों के जहन में है।
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